The Greatest Guide To Hindi Poetry

दो दिन ही मधु मुझे पिलाकर ऊब उठी साकीबाला,

दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।।२६।

घरों पर नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला ‍ ‍ ‍ ...

आज मिला अवसर, तब फिर क्यों मैं न छकूँ जी-भर हाला

ठुकराते हिर मंिदरवाले, पलक बिछाती मधुशाला।।५८।

एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,

रंक राव में भेद हुआ है कभी नहीं मदिरालय में,

दास द्रोहियों दोनों में है जीत सुरा की, प्याले Hindi Poetry की,

देव अदेव जिसे ले आए, संत महंत मिटा देंगे!

मीडिया अफसर नेता मिलकर तब रोटियां खूब पकाते हैं

मन के चित्र जिसे पी-पीकर रंग-बिरंगे हो जाते,

अपने अंगूरों से तन में हमने भर ली है हाला,

प़र क्या ये सच है की गर रास्ता बदल जाता तो

पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।।४४।

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