संघर्ष हौसला पर शायरी - An Overview

बचपन में एक कव्विता पढ़ी थी जो अब याद नहीं रही .

हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,

पीड़ा में आनंद जिसे हो, आए मेरी मधुशाला।।१४।

आज मिला अवसर, तब फिर क्यों मैं न छकूँ जी-भर हाला

जीवन के संताप शोक सब इसको पीकर मिट जाते

बस आ पहुंचे, दुर नहीं कुछ, चार कदम अब चलना है,

सच न बोलना(कवी नागार्जुन /कविता संग्रह) मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को, डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को!

ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट

देखो प्याला अब click here छूते ही होंठ जला देनेवाला,

मेरे टूटे दिल का है बस एक खिलौना मधुशाला।।७७।

डंडों की जब मार पड़ेगी, आड़ करेगी मधुशाला।।७६।

"The Irresistible Fiction course is going nicely. I see why it is a bestseller. I am unable to await another email."

सुमुखी तुम्हारा, सुन्दर मुख ही, मुझको कन्चन का प्याला

गलियारे बदल जाते पर ये साए मुझे ढूंढ ही लेते

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